google-site-verification=xwotaacNQAK68kVwJz99OApBbBDLWuAekuBf4nuP9Ug OMTECH: इस वजह से वेश्यालय की मिट्टी से बनती है मां दुर्गा की प्रतिमाएं, जानें इसके पीछे की मान्यता।

Tuesday, 20 October 2020

इस वजह से वेश्यालय की मिट्टी से बनती है मां दुर्गा की प्रतिमाएं, जानें इसके पीछे की मान्यता।

इस वजह से वेश्यालय की मिट्टी से बनती है मां दुर्गा की प्रतिमाएं, जानें इसके पीछे की मान्यता

नवरात्रि जहां एक तरफ उत्तर भारत में इस त्यौहार की धूम पूरे नौ दिन तक रहती है। वहीं दूसरी तरफ नवरात्रि में दक्षिण भारत में दुर्गा पूजा का त्यौहार छः दिन तक मनाया जाता है। दुर्गा पूजा पूर्णरुप से मां दुर्गा की आराधना का पर्व है। क्या आप यह जानते है कि ऐसा क्यों किया जाता है? पूरी दुनिया में वेश्यों को नीचा समझा जाता है, तो मां की प्रतिमा के निर्माण में अपवित्र स्थान की मिट्टी का प्रयोग क्यों किया जाता है? अपनी इस स्पेशल रिपोर्ट में देंगे इन सभी सवालों के जवाब-

नवरात्रि जहां एक तरफ उत्तर भारत में इस त्यौहार की धूम पूरे नौ दिन तक रहती है। वहीं दूसरी तरफ नवरात्रि में दक्षिण भारत में दुर्गा पूजा का त्यौहार छः दिन तक मनाया जाता है। दुर्गा पूजा पूर्णरुप से मां दुर्गा की आराधना का पर्व है।

दुर्गा पूजा में मां की अर्चना के लिए विशेष तौर पर वेश्यालय की मिट्टी की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा की जाती है। यह मूर्ति उतनी ही पवित्र मानी जाती है, जितनी पवित्र मां दुर्गा स्वयं है। लेकिन क्या आप यह जानते है कि ऐसा क्यों किया जाता है?

पूरी दुनिया में वेश्यों को नीचा समझा जाता है, तो मां की प्रतिमा के निर्माण में अपवित्र स्थान की मिट्टी का प्रयोग क्यों किया जाता है? अपनी इस स्पेशल रिपोर्ट में देंगे इन सभी सवालों के जवाब-

दुर्गा पूजा में आराधना के लिए बनने वाली विशेष प्रतिमा बनाने में चार वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। पहली गंगा तट की मिट्टी, गौमूत्र, गोबर और वेश्यालय की मिट्टी या किसी ऐसे स्थान की मिट्टी जहां जाना निषेध हो।

ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में एक वेश्या मां दुर्गा की अन्नय भक्त थी उसे तिरस्कार से बचाने के लिए मां ने स्वयं आदेश देकर, उसके आंगन की मिट्टी से अपनी मूर्ति स्थापित करवाने की परंपरा शुरू करवाई। साथ ही उसे वरदान दिया कि बिना वेश्यालय की मिट्टी के उपयोग के  दुर्गा प्रतिमाओं को पूरा नहीं माना जाएगा।

इसके साथ ही इसकी तीन अन्य मान्यताएं भी है-

  • पहली मान्यता यह कहती है कि जब कोई व्यक्ति वेश्यालय में जाता है तो वह अपनी पवित्रता द्वार पर ही छोड़ जाता है। भीतर प्रवेश करने से पूर्व उसके अच्छे कर्म और शुद्धियां बाहर रह जाती है, इसका अर्थ यह हुआ कि वेश्यालय के आंगन की मिट्टी सबसे पवित्र हुई, इसलिए उसका प्रयोग दुर्गा मूर्ति के लिए किया जाता है।
  • दूसरी मान्यता के अनुसार, वेश्याओं ने अपने लिए जो जिन्दगी चुनी है वो उनका सबसे बड़ा अपराध है। वेश्याओं को इन बुरे कर्मों से मुक्ति दिलवाने के लिए उनके घर की मिट्टी का उपयोग होता है, मंत्रजाप के जरिए उनके कर्मों को शुद्ध करने का प्रयास किया जाता है। 
  • तीसरी मान्यता के अंतर्गत बताया जाता है कि वेश्याओं को सामाजिक रूप से काट दिया जाता है, लेकिन इस त्यौहार के सबसे मुख्य काम में उनकी ये बड़ी भूमिका उन्हें मुख्य धारा में शामिल करने का एक जरिया है।

No comments:

Post a Comment